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छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीर्थ स्थल — श्रद्धा और आस्था की भूमि

abernews। छत्तीसगढ़, जिसे प्राचीन काल में दक्षिण कोशल के नाम से जाना जाता था, न केवल प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक समृद्धि से भरपूर है, ...




abernews। छत्तीसगढ़, जिसे प्राचीन काल में दक्षिण कोशल के नाम से जाना जाता था, न केवल प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक समृद्धि से भरपूर है, बल्कि यह राज्य भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों का भी धाम है। यहाँ की भूमि धर्म, भक्ति और आस्था से सराबोर है। यहाँ स्थित तीर्थ स्थल न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि श्रद्धालुओं को ईश्वर से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी बनते हैं। आइए, भक्ति भाव से जानते हैं छत्तीसगढ़ के कुछ प्रमुख तीर्थ स्थलों के बारे में:


1. डोंगरगढ़ (माँ बम्लेश्वरी देवी मंदिर) — जिला: राजनांदगांव

डोंगरगढ़ का माँ बम्लेश्वरी देवी मंदिर छत्तीसगढ़ का सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर 1600 सीढ़ियों के ऊपर बना है। नवरात्रि के अवसर पर यहाँ लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। माँ बम्लेश्वरी को 'मैया जी' के नाम से भी भक्त पुकारते हैं।


2. राजिम — जिला: गरियाबंद

राजिम को छत्तीसगढ़ का 'प्रयाग' कहा जाता है, जहाँ महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों का संगम होता है। यहाँ भगवान राजीव लोचन का अत्यंत प्राचीन मंदिर स्थित है। माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक लगने वाला राजिम कुंभ मेला देश भर के संतों, साधुओं और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।


3. सिरपुर — जिला: महासमुंद

सिरपुर, बौद्ध, जैन और हिन्दू धर्म का प्रमुख केंद्र रहा है। यह स्थल भगवान लक्ष्मण को समर्पित भारत के एकमात्र प्राचीन लक्ष्मण मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही, यहाँ की खुदाई में प्राचीन बौद्ध विहार, मठ और स्तूप मिले हैं, जो इसे विश्वस्तरीय आध्यात्मिक स्थल बनाते हैं।


4. दंतेवाड़ा (दंतेश्वरी मंदिर) — जिला: दंतेवाड़ा

यह शक्तिपीठ माँ दंतेश्वरी देवी को समर्पित है। मान्यता है कि यहाँ सती माता का दांत गिरा था, इसीलिए इसे दंतेवाड़ा कहा गया। नवरात्रि में विशेष मेले का आयोजन होता है और श्रद्धालु जन मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। यह स्थल आदिवासी आस्था का प्रतीक भी है।


5. चित्रकोट जलप्रपात और शिव मंदिर — जिला: बस्तर

हालाँकि चित्रकोट अपने भव्य जलप्रपात के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यहाँ स्थित चित्रकूट महादेव मंदिर भी एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। शिवरात्रि पर यहाँ बड़ी संख्या में भक्त जल चढ़ाने आते हैं। प्रकृति और भक्ति का यह संगम अद्भुत है।


6. खैरागढ़ — राधा कृष्ण मंदिर और संगीत तीर्थ

खैरागढ़ को भक्ति और कला का अद्भुत संगम कहा जा सकता है। यहाँ राधा-कृष्ण मंदिर के अलावा इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय स्थित है, जो संगीत के माध्यम से भी एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।


7. जतमई और घटारानी — जिला: रायपुर

ये दोनों शक्तिपीठ घने जंगलों और जलप्रपातों के समीप स्थित हैं। माँ जतमई और माँ घटारानी को समर्पित ये मंदिर श्रद्धा और प्राकृतिक सुंदरता का अपूर्व संगम हैं। नवरात्रि में यहाँ विशेष पूजन और मेला आयोजित होता है।


8. शिवरीनारायण — जिला: जांजगीर-चांपा

यहाँ भगवान विष्णु के शिवरीनारायण स्वरूप का मंदिर है, जो महानदी के तट पर स्थित है। मान्यता है कि माता कौशल्या के वंश में जन्म लेने के कारण भगवान श्रीराम का यहाँ विशेष महत्व है। यह स्थल राम वन गमन पथ का एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है।


9. मैनपाट — जिला: सरगुजा

छत्तीसगढ़ का यह सुंदर पहाड़ी इलाका बौद्ध धर्म के अनुयायियों का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। तिब्बती बौद्ध मठ और ध्यान केंद्र यहाँ स्थित हैं। यहाँ आकर आत्मिक शांति की अनुभूति होती है।


10. बूढ़ा महादेव, पालारी — जिला: बलौदाबाजार

शिवभक्तों के लिए यह एक विशेष स्थान है। भगवान बूढ़ा महादेव का यह मंदिर अत्यंत प्राचीन और चमत्कारी माना जाता है। यहाँ विशेष रूप से श्रावण मास में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।


भक्ति का सार — छत्तीसगढ़ की भूमि में बसती है आस्था

छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्थल केवल पूजा-पाठ के स्थल नहीं, बल्कि यह जीवन को ईश्वर से जोड़ने वाले पवित्र केंद्र हैं। यहाँ की नदियाँ, पर्वत, जंगल और मंदिर – सब एक दिव्य अनुभव प्रदान करते हैं। हर कदम पर भक्ति की सुगंध है, हर दिशा में आरती की ध्वनि है।

यह राज्य आस्था का जीवंत प्रतीक है। आइए, हम सभी इस पावन धरा को प्रणाम करें और इसके आध्यात्मिक वैभव को जानें, अपनाएं और संरक्षित करें।

- लेखक

विजय शंकर द्विवेदी 

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